Sunday, June 29, 2008

कुरान का अध्ययन


द्वारा डैनियल पाइप्सन्यूयार्क सन20 जनवरी, 2004http://hi.danielpipes.org/article/2897
मौलिक अंग्रेजी सामग्री: Study the Koran?हिन्दी अनुवाद - अमिताभ त्रिपाठी


11 सितंबर की घटना घटित होने के बाद सी बी एस के प्रसिद्ध टीकाकार एन्डी रुनी ने सुझाव दिया कि वर्तमान विश्व में जो कुछ घटित हो रहा है उसे जानने के लिए कुछ समय निकालकर कुरान अवश्य पढ़ना चाहिए. इसी तरह के सुझाव अन्य कई लोगों की तरफ से भी आए .
यह देखते हुए कि आतंकवादी स्वयं कहते हैं कि वे इस्लाम की इस पवित्र पुस्तक के आधार पर ही कार्य कर रहे हैं , इन सुझावों की अहमियत समझी जा सकती है.
11 सितंबर की घटना के ग्रुप लीडर मोहम्मद अट्टा विमान में चढ़ते समय अपने सूटकेस में कुरान साथ लेकर चढ़ा था .अपने साथी अपहरणकर्ताओं को जारी किए गए पाँच पेज के निर्देश में भी उसने कहा कि वे प्रार्थना करें ईश्वर से दिशा निर्देश माँगें औऱ कुरान का उच्चारण करते रहें . ओसामा बिन लादेन भी अकसर अपने अनुयायियों को समझाने के लिए और प्रेरित करने के लिए कुरान का ही उद्धरण देता है .साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि पिछले माह पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ की हत्या का प्रयास करने वाले फिदायीन ने खुद को उड़ाने से पहले कुरान का अध्ययन किया था . हमास के आत्मघाती वीडियो टेप नियमित तौर पर कुरान को दिखाते हैं.अब तो बहुत से गैर – मुसलमान भी कुरान का अध्ययन करने लगे हैं.
11 सितंबर की घटना के पश्चात् के सप्ताहों में कुरान की बिक्री पाँच गुना अधिक बढ़ गई. अमेरिका के सबसे बड़े प्रकाशक ने बताया कि उसे इस माँग की आपूर्ति के लिए ब्रिटेन से कुरान की प्रतियाँ मंगवानी पड़ीं. अमेरिका के पुस्तक विक्रेताओं ने बताया कि वे बाईबिल से ज्यादा कुरान की प्रतियाँ बेच रहे हैं.प्रसंगवश यह सब इस्लामवादियों को सुनने में अच्छा लग रहा है. आतंकवादियों को आर्थिक सहायता देने वाले गुट के साथ संबद्ध बोस्टन की इस्लामिक सोसाईटी के होसाम गाबरी के अनुसार गैर – मुसलमानों द्वारा कुरान को समझने का प्रयास एक शुभ संकेत है . परंतु वर्तमान विश्व में घट रही घटनाओं को समझने के लिए सरसरी तौर पर कुरान का अध्ययन करना उचित मार्ग नहीं है . ऐसा इसलिए है क्योंकि कुरान की अपनी कुछ विशेषतायें हैं – व्यापकता- यह संभव नहीं है कि कोई भी व्यक्ति कुरान उठाए और एक बार में समझ ले . क्योंकि इसके प्रत्येक शब्द के साथ विश्लेषण , अनुवाद और उसका भी अनुवाद जुड़ा है . ऐसे किसी भी दस्तावेज़ के अध्ययन के लिए आवश्यक है कि उसके संदर्भों का गहन अध्ययन हो . उसके विकास और उसकी विरोधी व्याख्या की पूरी जानकारी हो . इसकी तुलना अमेरिकी संविधान से कर सकते हैं . इसके दूसरे संशोधन में 27 शब्द हैं ( एक नियमित सेना,एक स्वतंत्र राज्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक है .नागरिकों के अस्त्र रखने या उन्हें धारण करने के अधिकार को सीमित नहीं किया जाना चाहिए .)इस वाक्य के निहितार्थ को समझने के लिए गहरे अध्ययन की आवश्यकता होगी और कोई भी नया व्यक्ति इसके संबंध में कोई भी विचार नहीं बना सकता .
जटिलता और विरोधाभास – कुरान की विषयवस्तु में अनेक कालखंडों में विद्वानों के अध्ययन के कारण अनेक विरोधाभास उत्पन्न हो गए हैं . बहुत सी आयतों को उसके विपरीत अर्थों के द्वारा बदल दिया गया है. उदाहरण के लिए आयत 9 सुरा 5 मुसलमानों को आदेश देती है कि वे पवित्र महीना (रमादान ) बीतने तक पैगनों(प्रकृति पूजकों ) की हत्या न करें . वहीं आयत 9 सुरा 36 के अनुसार मुसलमानों को पैगनों से इसी महीने में लड़ना चाहिए. एक दम नए कुरान पढ़ने वाले व्यक्ति को कैसे पता चलेगा कि कौन सी आयत प्रभावी है ( यद्यपि बाद वाली आयत प्रभावी है ).
अपरिवर्तनीय – कोई भी अपरिवर्तनीय पवित्र ग्रंथ हर समय एक सा ही रहता है . यदि कुरान आतंकवाद का आदेश देता है तो 1960 के बारे में क्या कहा जाएगा जब उग्रवादी इस्लामी हिंसा का कोई वजूद नहीं था . उस समय भी तो कुरान की विषयवस्तु वही थी . व्यापक रुप में पिछली 14 शताब्दियों से मुसलमान अपने आक्रामक ,शांत, पवित्र ,अपवित्र ,सहिष्णु या असहिष्णु व्यवहार की प्रेरणा कुरान से ही लेता रहा है . फिर भी तर्क यह कहता है कि अपरिवर्तनीय पुस्तक के रहते हुए भी मुसलमानों के व्यवहार में आए परिवर्तनों की जड़ कहीं और भी देखी जानी चाहिए.
न्यूनता – पवित्र पुस्तकों की व्यापक महत्ता होती है परंतु तात्कालिक कार्य का संदर्भ इनसे जुड़ा नहीं होता . अकेले बाईबिल को पढ़ने से यहूदियों और ईसाइयों के एक हजार साल के व्यवहार को नहीं समझा जा सकता . इसी प्रकार मुसलमानों ने भी हर समय कुरान को भिन्न भिन्न तरीके से समझा है .उदाहरण के लिए महिलाओं के शील के संबंध में 1920 में मिस्र के लोगों का आग्रह कुछ दूसरा था जबकि आज की पीढ़ी के लिए यह कुछ दूसरा है उस समय सर ढ़कना एक अत्याचार का प्रतीक था जो सार्वजनिक जीवन से अलग- थलग करता था. जबकि आज ब्रिटेन के समाचार पत्र के शीर्षक के अनुसार आवरण सुंदरता को बढ़ाता है . उस समय सिर ढ़कने का अर्थ था कि एक महिला को पूर्ण मानव का दर्जा नहीं मिला है जबकि अब फैशन पत्रिका के एक संपादक के अनुसार सिर ढ़कने का अर्थ है कि आप एक महिला हैं और आपको एक स्वतंत्र मस्तिष्क का दर्ज़ा मिलना चाहिए .
केवल कुरान को पढ़ने से हम उन तथ्यों का विकास नहीं समझ पाते जिनका विकास पुस्तक के दायरे से बाहर हुआ है . संक्षेप में कुरान कोई इतिहास की पुस्तक नहीं है . इतिहास की पुस्तक का अपना अलग ही महत्व होता है . जो भी उग्रवादी इस्लाम और उसके द्वारा प्रेरित हिंसा का अध्ययन करना चाहता है उसे वहाबी आंदोलन ,खोमैनी क्रांति और अलकायदा को समझना चाहिए . मुस्लविम धर्म शास्त्र से अधिक मुस्लिम इतिहास इस बात की व्याख्या कर सकता है कि हम यहाँ तक कैसे पहुँचे और आगे क्या होने वाला है.

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