Sunday, June 29, 2008

इस्लामवादियों बाहर जाओ


द्वारा डैनियल पाइप्सन्यूयार्क सन30 अगस्त, 2005http://hi.danielpipes.org/article/2959
मौलिक अंग्रेजी सामग्री: Islamists, Get Outहिन्दी अनुवाद - अमिताभ त्रिपाठी

जैसे-जैसे लन्दन के आतंकवादी हमलों में घरेलू जिहादियों की भूमिका स्पष्ट हो रही है, वैसे – वैसे पश्चिम के लोग कट्टरपंथी इस्लाम की समस्या के संबंध में अधिक मुखर होते जा रहे हैं .इस दिशा में सबसे प्रमुख घटना ब्रिटिश सहित अन्य राष्ट्रीयता के लोगों द्वारा अपनी राष्ट्रीयता को परिभाषित करने की आवश्यकता अनुभव किया जाना है . इस इस्लामी चुनौती के सामने अपनी जिस ऐतिहासिक पहचान को अपनी ओर से ही सुनिश्चित मान लिया गया था उसे नए सिरे से संहिताबद्ध किए जाने की आवश्यकता है.
प्रति-दिन की घटनाओं से अनुभव किया जा सकता है कि इस्लामिक हठ ने किस प्रकार पिछले महीनों में यूरोपियन लोगों को अपनी परंपराओं के प्रति जागरुक बना दिया है .
उदाहरण के लिए इटली में बुरके पर प्रतिबंध लगाना , संयुक्त स्वीमिंग कक्षाओं के लिए जर्मनी में स्कूल छात्र का रहना आवश्यक करना और आयरलैंड में नागरिकता का आवेदन करने वाले व्यक्ति के लिए बहु विवाह को हतोत्साहित करने की शर्त . इसी प्रकार पिछले दिनों बेल्जीयम के राजनेता ने इरानी लोगों के साथ अपना भोजन इस कारण रद्द कर दिया कि इरानियों ने शर्त लगाई की भोजन में शराब नहीं परोसी जाएगी .बेलजियम प्रवक्ता ने कहा कि आप बेलजियम के नेताओं को पानी पीने के लिए विवश नहीं कर सकते .
पिछले सप्ताह 24 अगस्त को उसी दिन प्रमुख पश्चिमी नेताओं ने इन छोटी-छोटी बातों से परे समस्या के मूल तत्व को स्पर्श किया .
कनजर्वेटिव पार्टी के उदीयमान सदस्य और प्रच्छन्न शिक्षा सचिव डेविड केमरान ने “ ब्रिटेनियत ” की परिभाषा करते हुए कहा कि “ कानून के राज के अंतर्गत स्वतंत्रता ” से वह सब कुछ स्पष्ट हो जाता है जो आप हमारे देश के विषय में जानना चाहते हैं , हमारी संस्थायें , हमारा इतिहास , हमारी संस्कृति और यहां तक कि हमारी अर्थव्यवस्था भी . इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया के कोषाध्यक्ष और प्रधानमंत्री हावर्ड के उत्तराधिकारी माने जाने वाले पीटर कोस्टेल ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपने नागरिकों से अपेक्षा करता है कि वे इसके मूल सिद्दांतों लोकतंत्र,कानून का राज , स्वतंत्र न्यायपालिका और स्वतंत्र मुक्ति से आबद्ध रहे .
11 सितंबर 2001 के बाद पिछले चार वर्ष की राजनीतिक चर्चा में पहली बार मुखर होकर बोलते हुए श्री केमरान ने कहा कि आज के आतंकवादी खतरे के पीछे की संचालक शक्ति इस्लामी कट्टरवाद है . जिस संघर्ष से हम जूझ रहे हैं उसकी जड़ विचारधारा में है. पिछली शताब्दी में इस्लामी विचार की ऐसी शक्ति विकसित हुई है जो नाज़ीवाद और साम्यवाद की भांति ही अपने अनुयायियों को मुक्ति के लिए हिंसा का मार्ग अपनाने की सीख देती है.
सबसे अधिक चौंकाने वाली बात इस्लामवादियों को बाहर निकालने की मांग है .दो राजनेताओं ने विदेशी इस्लामवादियों को सलाह दी है कि वे दूर ही रहें .क्यूबेक के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मंत्री मौनिक गैगनोन ट्रैम्बले ने अपने देश में उन्हें प्रवेश देने से मना कर दिया है जो क्यूबेक में तो आना चाहते हैं लेकिन महिलाओं के अधिकारों का सम्मान नहीं करते और नागरिक संहिता के अधिकारों से सहमति नहीं जताते .ऑस्ट्रेलिया में न्यूसाउथ वेल्स के प्रधानमंत्री बॉब कार मानते हैं कि उन आप्रवासियों को वीज़ा नहीं मिलना चाहिए जो राष्ट्रीय समाज के साथ समन्वय स्थापित नहीं करना चाहते .
ऑस्ट्रेलिया के कोषाध्यक्ष कोस्टेलो तो एक कदम आगे बढ़ कर कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की स्थापना लोकतंत्र के आधार पर हुई है .अपने संविधान के अनुसार हम सेक्यूलर राज्य हैं .हमारे कानून ऑस्ट्रेलिया की संसद द्वारा बनाए गए हैं यदि वे आपके लिए मूल्यवान नहीं हैं और आप ऐसा देश चाहते हैं जो मजहबी हो और शरीयत के आधार पर चले तो ऑस्ट्रेलिया आपके लिए नहीं है . उनका सुझाव है कि जिन इस्लामवादियों के पास दोहरी नागरिकता है उन्हें अपनी दूसरी नागरिकता का उपयोग करते हुए ऑस्ट्रेलिया छोड़ देना चाहिए . इसी प्रकार 24 अगस्त को ही ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री ब्रांडन नेल्सन ने आग्रह किया कि आप्रवासियों को ऑस्ट्रेलिया के संविधान , ऑस्ट्रेलिया के कानून के राज के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करनी चाहिए यदि वे ऐसा नहीं कर सकते तो उन्हें यह स्थान खाली कर देना चाहिए . डच संसद में अपनी पार्टी के अध्यक्ष गेर्ट वाइल्डर्स ने भी कहा कि गैर नागरिकता वाले आप्रवासियों को बाहर कर देना चाहिए जो समाज के साथ समरस नहीं हो पा रहे हैं .
लेकिन इन सबसे आगे ब्रिटेन के प्रच्छन्न रक्षा मंत्री गेराल्ड होवार्थ ने अगस्त की शुरुआत में ही कहा था कि ब्रिटेन के इस्लामवादियों को देश से बाहर चले जाना चाहिए . यदि उन्हें हमारी जीवन पद्धति पसंद नहीं है तो उनके पास आसान रास्ता है कि दूसरे देश में जायें और यहां से बाहर जायें . उन्होंने तो इस सिद्दांत की परिधि में ब्रिटेन में पैदा हुए मुसलमानों को भी रखा.
पिछले आधे साल में आए इन बयानों का अपना कुछ निष्कर्ष है . पहला इस पूरे मामले में अमेरिका कहीं नहीं है . किसी भी प्रमुख अमेरिकी राजनेता ने अमेरिका के इस्लामवादियों को देश से बाहर निकालने संबंधी बयान नहीं दिया है . इस मामले में पहल कौन कर रहा है .दूसरा कानूनी और विधिक मामलों पर लगातार दिया जाने वाला जोर है .इससे यह स्पष्ट होता है कि अंत में इस्लामवादियों द्वारा इस्लामी कानून और शरीयत लागू करने की उनकी इच्छा प्रकट होती है और सबसे अंत में इन बयानों से संकेत मिलता है कि इस्लामवादियों को रोकने के लिए और उन्हें समाप्त करने के लिए व्यापक अभियान चलेगा भले ही यह अभियान जल्दी न चले .

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